How Shodashi can Save You Time, Stress, and Money.
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The working day is observed with fantastic reverence, as followers take a look at temples, supply prayers, and engage in communal worship occasions like darshans and jagratas.
एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः
Even though the specific intention or importance of this variation may well change based on private or cultural interpretations, it could possibly usually be recognized as an extended invocation on the combined Electricity of Lalita Tripurasundari.
Worshippers of Shodashi find not simply content prosperity but additionally spiritual liberation. Her grace is alleged to bestow both equally worldly pleasures and the suggests to transcend them.
After 11 rosaries on the first working day of beginning With all the Mantra, you'll be able to deliver down the chanting to 1 rosary daily and chant eleven rosaries to the 11th day, on the last day of your chanting.
The Mahavidya Shodashi Mantra is usually a strong Device for click here all those looking for harmony in own associations, creative inspiration, and steerage in spiritual pursuits. Frequent chanting fosters emotional healing, boosts instinct, and will help devotees obtain better wisdom.
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥